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Maha Shivaratri 2020: महाशिवरात्रि पर इस तरह भोले शंकर होते हैं प्रसन्न

भगवान शिव को महाकाल कहा गया है और वहीं देवों के देव महादेव हैं। उन्होंने गंगा को अपने शीष पर धारण किया हुआ है। कहते हैं कि अगर भोले नाथ का पूरे श्रद्धा भाव से पूजा की जाए तो वो हमारी जिंदगी की सभी समस्याओं को समाप्त कर देते हैं। 
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त
21 तारीख को शाम को 5 बजकर 20 मिनट से 22 फरवरी, शनिवार को शाम सात बजकर 2 मिनट तक रहेगा।
वैष्णव संप्रदाय उदियात अर्थात् जो सूर्योदय के समय तिथि हो उसे मानते हैं। इसलिए इस साल महाशिवरात्रि 21 फरवरी को मनाई जाएगी।
शैव संप्रदाय के अनुसार निशीथ में चतुर्दशी तिथि व्याप्त होने पर 21 फरवरी को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। वहीं 22 फरवरी को वैष्णवों द्वारा उदियात (सूर्योदय के समय) में चतुर्दशी तिथि के चलते व्रत परायण करना श्रेयस्कर है। शिव खप्पर पूजन 23 फरवरी अमावस्या को होगा। उक्त जानकारी पं. अमित भारद्वाज ने दी है। शिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भगवान का रुद्राभिषेक किया जाता है। शिवरात्रि के दिन सुबह नहा धोकर मंदिर जाकर ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।  

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इसके बाद शिवलिंग पर शहद, पानी और दूध के मिश्रण से भोले शंकर को स्नान कराना चाहिए। इसके बाद बेल पत्र, धतूरा, फल और फूल भगवान शिव को अर्पित करने चाहिए। धूप और दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करनी चाहिए। इस दिन भोले शिव को बेर चढ़ाना भी बहुत शुभ होता है। शिव महापुराण में कहा गया है कि इन छह द्रव्यों, दूध, योगर्ट, शहद,घी, गुड़ और पानी से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से भगवान प्रसन्न होते हैं। 
जल से रुद्राभिषेक करने से शुद्धी
गु़ड़ से रुद्राभिषेक करने से खुशियां
घी से रुद्राभिषेक करने से जीत
शहद से रुद्राभिषेक करने से मीठी वाणी
योगर्ट से
  




Maha Shivaratri 2020: महाशिवरात्रि पर इस तरह भोले शंकर होते हैं प्रसन्न


Maha shivaratri 2020: हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व बेहद उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि 21 फरवरी को एक विशेष योग में मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार  इस विशेष संयोग का नाम शश योग है। इस दिन पांच ग्रहों की राशि पुनरावृत्ति होने के साथ शनि व चंद्र मकर राशि, गुरु धनु राशि, बुध कुंभ राशि तथा शुक्र मीन राशि में रहेंगे।
इससे पहले ग्रहों की यह स्थिति और ऐसा योग वर्ष 1961 में रहे थे। इस दौरान दान-पुण्य करने का भी विधान है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह विशेष संयोग लगभग 59 साल बाद बन रहा है, जो साधना-सिद्धि के लिए खास महत्व रखता है।मान्यता है कि इस दिन शिव और पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। ऐसे में आइए जानते हैं इस दिन भोलेबाबा को प्रसन्न करने के लिए किस शुभ मुहूर्त में पूजा करना फलदायक है। 
Maha Shivaratri 2020: 

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