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110 नए मामलों के साथ UP में कोरोना मरीजों की संख्या एक हजार के पार, अबतक 17 की मौत

110 नए मामलों के साथ UP में कोरोना मरीजों की संख्या एक हजार के पार, अबतक 17 की मौत

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या एक हजार को पार करते हुए अब 1084 हो गई है। इसमें से 108 डिस्चार्ज हो चुके हैं और 17 मरीजों की मौत हो हुई है। प्रदेश में अभी कोविड-19 के 959 एक्टिव केस हैं। दूसरी तरफ राज्य में कोरोना के 1050 संदिग्ध मरीज आइसोलेशन बेड पर हैं और 10234 को क्वारंटाइन में रखा गया है। बीते 24 घंटे में 110 नए कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। यह जानकारी अपर मुख्य सचिव गृह व सूचना अवनीश अवस्थी ने रविवार को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
प्रसाद ने बताया कि 17 अप्रैल को सरकार ने रैपिड किट भेज दी है। इन किट से रैपिड टेस्ट नोएडा में शुरू कर दिया गया है। रैपिड टेस्ट से कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि नहीं होती है। यह केवल कोरोना वायरस के सर्विलांस और इंडिकेशन के लिए उपयोग में लाया जाता है। उन्होनें कहा की एल-3 के कोविड अस्पतालों में 40 और एल-2 के कोविड अस्पतालों में 15-20 वेंटिलेटर बेड की व्यवस्था की गई है। इसी तरह एल- 1 के सीएचसी अस्पतालों में 15-15 ऑक्सीजन के सिलिंडर उपलब्ध कराए गए हैं।
प्रसाद ने बताया मरीजों के आयु वर्ग की बात करें तो 0 से 20 वर्ष तक के 18% मरीज हैं। इसके अलावा 21 से 40 वर्ष आयु वर्ग तक के 47.3%, 41 से 60 वर्ष आयु वर्ग के 24.7% और 60 साल से अधिक उम्र के 9.4% लोग संक्रमित हैं। कुल संक्रमित लोगों में पुरुषों का प्रतिशत 78 है और महिलाओं का प्रतिशत 22 है। इस बीच गृह विभाग के प्रमुख सचिव अवनीश अवस्थी ने बताया कोविड-19 के मद्देनजर पैदा सूरते हाल में मदद के लिए बनाए गए केयर फंड में अभी तक 204 करोड़ रुपए से अधिक धनराशि जमा की जा चुकी है।

मोदी सरकार ने पड़ोसी देशों से एफडीआई पर लगाई पाबंदी तो बिलबिलाया चीन, WTO के सिद्धांतों का दे रहा हवाला

भारत ने चीन और अन्य पड़ोसी देशों से सीधे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर पाबंदी लगाई तो चीन भड़क उठा। भारत के इस कदम पर सोमवार को चीन ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए भारत के नए नियम डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं और मुक्त और निष्पक्ष व्यापार के खिलाफ हैं। चीन ने आशा व्यक्त की कि भारत 'भेदभावपूर्ण प्रथाओं' को संशोधित करेगा। बता दें भारत ने चीन और अन्य पड़ोसी देशों से सीधे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर पाबंदी लगा दी है। महामारी से अर्थव्यस्था में उथल-पुथल के बीच केंद्र सरकार ने घरेलू कंपनियों का अधिग्रहण रोकने के लिए यह फैसला लिया है। जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, इटली भी ऐसा कदम उठा चुके हैं। सरकार के इस फैसला का राहुल गांधी ने स्वागत किया है। 
नोटिफिकेशन में साफ-साफ चीन का नाम नहीं
भारत के साथ सीमाएं साझा करने वाले देशों में चीन, बांग्लादेश, पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, म्यांमार और अफगानिस्तान शामिल हैं। इन देशों के निकाय भारत सरकार की मंजूरी के बिना निवेश नहीं कर सकेंगे। सरकार ने हालांकि जारी किए गए नोटिफिकेशन में साफ-साफ चीन का नाम नहीं लिया है, बल्कि यह कहा गया है कि वो देश जिनकी सीमा भारत से लगती है, सभी के लिए निवेश से पहले मंजूरी जरूरी होगी।
केंद्र सरकार ने नए दिशा-निर्देश के जरिये यह साबित कर दिया है कि चीन और उस जैसे दूसरे पड़ोसी देशों से अपने देश की कंपनियों में बिना मंजूरी के निवेश की इजाजत नहीं होगी। दरअसल, करोना संकट के दौर में भारतीय कंपनियों के शेयर की कीमत काफी घट गई है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि चीन खुद या फिर दूसरे किसी पड़ोसी देश के जरिये भारत में अपना निवेश बढ़ा सकता है। साथ ही नई कंपनियां खरीद भारतीय अर्थव्यवस्था में सीधा दखल दे सकता है। इसी को रोकने के लिए एफडीआई कानून में बदलाव की जरूरत पड़ी।
इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल दीपक सूद ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि दुनिया की तमाम सरकारें कंपनियों की अवसरवादी खरीद से निपटने में जुटी हुई हैं। महामारी के दौरान दुनियाभर में कंपनियों की वैल्युएशन 50 से 60 फीसदी तक गिर गई है। हालांकि, शेयर बाजार में कंपनियों का यह भाव उनकी वास्तविक कीमत नहीं है, लेकिन इसे अवसरवादी खरीद-फरोख्त के जरिये मैनेजमेंट कंट्रोल हासिल करने के लिए मौके की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। सूद के मुताबिक यूं तो उद्योग जगत हमेशा आसान एफडीआई नीति के पक्ष में रहता है, लेकिन इस तरह की चालाकी से की जाने वाली खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए वह सरकार के फैसले के साथ है।
चीन ने एक साल में किया है 15 हजार करोड़ रुपये का निवेश
दरअसल, पिछले एक साल में चीन की तरफ से देश में करीब 15 हजार करोड़ रुपये का निवेश आया है। यही नहीं, चीन ने बड़े पैमाने पर स्टार्टअप में भी पैसा लगाया है। चीन के निवेश की रफ्तार बाकी देशों के मुताबिक ज्यादा ही तेज रहती है। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि कोरोना संकट के दौर में चीन और उसके जैसे तमाम देश, जिनके पास खरीदने की ताकत मौजूद है, अपने से कमजोर देशों में तेजी से अधिग्रहण करने में जुटे हैं। इससे निपटने के लिए जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन और इटली जैसे देशों ने भी इसी तरह के कदम उठाए हैं। आने वाले दिनों में तमाम और देश भी अपनी कंपनियों को बचाने के लिए ऐसे कदम उठाने को मजबूर होंगे।  उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने कहा कि भारत में होने वाले किसी निवेश के लाभार्थी भी यदि इन देशों से संबंधित होंगे, तो मंजूरी जरूरी होगी। वहीं, सरकार के इस निर्णय से चीन जैसे देशों पर प्रभाव पड़ सकता है। पाक के निवेशकों पर शर्त पहले से लागू है।

सीएम योगी पिता के अंतिम संस्कार में नहीं होंगे शामिल, कोरोना के चलते परिजनों से भी की भीड़ ना बढ़ाने की अपील

सीएम योगी आदित्यनाथ अपने पिता की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं होंगे। योगी ने परिजनों से भी की भीड़ ना बढ़ाने की अपील की है।योगी ने कहा कि अपने पूज्य पिताजी के कैलाशवासी होने पर मुझे भारी दुःख एवं शोक है। वे मेरे पूर्वाश्रम के जन्मदाता हैं। जीवन में ईमानदारी कठोर परिश्रम एवं निस्वार्थ भाव से लोक मंगल के लिए समर्पित भाव के साथ कार्य करने का संस्कार बचपन में उन्होंने मुझे दिया।
योगी ने कहा कि अन्तिम क्षणों में उनके दर्शन की हार्दिक इच्छा थी, परन्तु वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को यूपी की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने का कर्तव्यबोध के कारण मैं न कर सका। कल 21 अप्रैल को अन्तिम संस्कार के कार्यक्रम में लॉकडाउन की सफलता तथा महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण भाग नहीं ले पा रहा हूं। पूजनीया मां, पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से भी अपील है कि वे लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग  अन्तिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें। पूज्य पिताजी की स्मृतियों को कोटि-कोटि नमन करते हुए उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित

आंध्र प्रदेश के CM रेड्डी और छत्तीसगढ़ की बाघेल सरकार की कोरोना टेस्टिंग किट खरीद पर बवाल, दामों में बड़ा फर्क

कोरोना वायरस की जांच के लिए रैपिड टेस्टिंग किट की कीमतों को लेकर विवाद बढ़ता दिख रहा है। रैपिड टेस्टिंग किट की कीमत अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग बताई जा रही है। आंध्र प्रदेश ने कोरोन के लिए रैपिड टेस्ट किटों में से प्रत्येक पर 730 रुपये खर्च किए, जबकि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ ने प्रत्येक किट को 337 रुपये में खरीदा। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री का इस किट की दर पर वीडियो संदेश आने के बाद दाम में इस अंतर पर बहस  शुरू हो गई थी। 
मिरर की खबर के अनुसार उसके द्वारा  एक्सेस किए गए दस्तावेजों से पता चला है कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी सरकार ने एक निजी कंपनी से दो लाख किट के लिए ऑर्डर दिया था। आदेश के अनुसार, 14.6 करोड़ रुपये के ऑर्डर मूल्य का 25 प्रतिशत भुगतान एडवांस में होना था और शेष राशि का भुगतान डिलीवरी पर किया जाना था। एक लाख किटों की पहली खेप 17 अप्रैल को विजयवाड़ा पहुंची।
दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि वह दक्षिण कोरिया से 337 रुपये/किट (जीएसटी अलग से) की दर से टेस्टिंग किट मंगा रही है। अब आंध्र प्रदेश सरकार ने टेस्टिंग किट की अलग-अलग कीमतों के मामले को 'बदनाम करने का एक अभियान' बताया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने कहा है कि अभी इस फर्क को लेकर फाइनल हिसाब लगाया जा रहा है। इस प्रकार की भ्रामक सूचनाएं फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। रैपिड किट्स की कीमतों को लेकर हम छत्तीसगढ़, केरल, कर्नाटक जैसे राज्यों के संपर्क में हैं। इस बारे में आगे भी जानकारी दी जाएगी।

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